Sunday, June 26, 2016
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Friday, May 2, 2014
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Monday, December 6, 2010
पेंशन के खिलाफ छत्तीसगढ़ के किन्नर
देश की राजधानी दिल्ली के निगम ने भले ही किन्नरों के सम्मानजनक गुजारे के लिए उन्हें पेंशन देने का फैसला कर लिया है लेकिन छत्तीसगढ़ के किन्नर इस फैसले के खिलाफ हैं। किन्नरों का कहना है कि पेंशन पाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। छत्तीसगढ़ के किन्नर सरकार द्वारा जमीन दिए जाने के बाद खुश हैं। उनका कहना है कि सरकार ने जमीन संबंधी उनकी मांग को काफी पहले ही पूरा कर दिया था।
हाल ही में दिल्ली नगर निगम ने 18 साल से अधिक आयु के किन्नरों को एक हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन देने का फैसला किया है। निगम का यह मानना है कि पेंशन सुविधा का सबसे ज्यादा लाभ उन किन्नरों को होगा जो उम्र की ढलान पर हैं। दिल्ली नगर निगम के इस फैसले का देश के विभिन्न हिस्सों में मौजूद किन्नरों ने स्वागत किया है। लेकिन छत्तीसगढ़ के किन्नर फैसले के खिलाफ हैं। छत्तीसगढ़ किन्नर समाज की सचिव ज्योति का कहना है कि सरकारी पेंशन पाने के लिए काफी खानापूर्ति करनी पड़ती हैं। वे किन्नर जो जगह-जगह घूम-घूमकर अपनी अजीविका चलाते हैं उन्हें लाइन लगाकर पेंशन लेना गवारा नहीं होगा। छत्तीसगढ़ का कोई भी किन्नर पेंशन के लिए धक्के नहीं खाएगा। दिल्ली के किन्नरों को मिलने वाला पेंशन उन्हें मुबारक हो। ज्योति ने बताया कि सरकार ने उनके समाज को काफी पहले ही जमीन की सुविधा मुहैय्या करा दी थी। राजधानी लाभांडी के एक बेशकीमती इलाके में जमीन मिल जाने से ज्योति बेहद खुश है। ज्योति का कहना है कि रमन सरकार ने जमीन देकर किन्नर समाज की दुआएं ले ली है। किन्नर समाज की मुखिया भुल्लो नायक मानती हैं कि यदि कभी गुजारे के लिए कोई समस्या खड़ी हुई तो पेंशन के बारे में सोचा जा सकता है लेकिन हाल फिलहाल छत्तीसगढ़ के किन्नर नाच गाकर बेहतर ढंग से अपनी गुजर-बसर कर रहे हैं। एक अन्य किन्नर राधिका ने कहा कि गरीबों को दिए जाने वाले पेंशन में ही बहुत सी बाधाएं खड़ी होती हैं। जिन्हें पेंशन मिलना चाहिए उन्हें पेंशन नहीं मिलता और जो पेंशन के पात्र नहीं होते उन्हें पेंशन हासिल हो जाती है। राधिका ने कहा कि उनका समाज कभी भी सरकार से पेंशन की मांग नहीं करेगा। दीपावली के बाद किन्नर जगह-जगह घूम-घूमकर लोगों को दुआएं दे रहे हैं। इन दुआओं के एवज में उन्हें अच्छी खासी बख्शीश भी मिल रही हैं। छत्तीसगढ़ में यह सिलसिला पुन्नी मेले तक जारी रहेगा। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 400 किन्नर चिन्हित किए गए हैं। रायपुर में कुल दो दर्जन किन्नर है। ये किन्नर जिनमें राखी, सपना, कमलाबाई, विमलाबाई मनोरमा आदि शामिल हैं वे अपने भरण पोषण के लिए तिल्दा, सिमगा भाटापारा, कवर्धा तक में भी घूमते हैं।
बहुरूपियों से बचने की सलाह
किन्नरों ने प्रदेशवासियों को दीपावली की शुभकामनाएं दी है। समाज की सचिव ज्योति ने छत्तीसगढ़ के लोगों दयालु बताते हुए प्रदेश की चहुंमुखी तरक्की की कामना की है और कहा गरीबों को पेंशन मिल जाए यह हमारी दुआ है। किन्नरों ने लोगों को बहुरूपियों से बचने की सलाह भी दी है।